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आज

 

जब ..दौड़ाई  नजर याहां वहाँ

सब व्याकुल दिखे ,

कोई वक़्त की मार से बुझ रहा

तो कोई  अपनी गलती से जूझ रहा

कोई मंदी  की  आग में जल रहा

तो कोई  व्याज के जाल में  बेहाल हो रहा

कोई आपनो के दर्द से परेशान

कोई आपनो से परेशान

न जाने कहाँ जा रहा इंसान।

जिससे पूछो पीड़ित है

पर बाज नहीं आता प्रताड़ित करने से

बच्चों का बचपन छीन रहा

कभी माँ बाप की लड़ाई में

तो कभी जरूरत से ज्यादा पढ़ाई में

कहाँ जा रहे हैं हम..

क्यों जा रहे हैं हम

अब सोचना ही होगा 

विचारना ही होगा।

अपने आज को जीने के लिए

और कल को बचाने के लिये।

 

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