आज भी ज्यादातर महिलाएं घर पर ही रहती हैं, एक तरफ ये बहुत अच्छी बात है ,तो दूसरी तरफ मन कचोटता है कि अरे मैं तो कुछ कर नहीं रही,मेरा कोई वजूद नहीं, मूल्य नहीं ,मैं तो बस जरूरत हूँ, खास बनना मेरी नसीब में नहीं----वगैरह - वगैरह।और बस नकारात्मक सोच रखकर दिरभर...