एक नारी की क्षमता और ताकत दोनों ही अविश्वसनीय तरीके से सम्पूर्ण है।लेकिन कई बार ऐसा होता है, कि उसका शोषण कर अनदेखा किया जाता है और उपयोगी वस्तु के रूप में देखा जाता है। उसे डरा कर ,धर्म का वास्ता देकर गलत काम करने पर मजबूर किया जाता है।इस तरह की हरकतें...
🙏🙏🙏"जीवन का सर्वोत्तम पड़ाव है बुढापा ज्ञान कीमजबूत जड़ है बुढापा, आध्यात्म के जल से सिंचित है बुढापा, हरे भरे पत्तों से भरा छायादर विशाल वृक्ष है बुढापा, अनुभव के मीठे फलों से झुका पेड़ है बुढापा, समाज और आने वाली पीढ़ियों को कल्याण का मार्ग दिखाता है बुढापा,...
स्वस्थ वातावरण ही स्वस्थ मानसिकता को बढ़ावा देती है।और स्वस्थ मानसिकता वाले लोग जीवन का आनंद लेते हैं और दूसरों को भी आनंद का अनुभव लेने में मदद करते हैं। पिछले ब्लॉग में मैंने कुछ मनोवैज्ञानिक तथ्यों पर प्रकाश डाला और समझे कि हमारा अपने पर नियंत्रण और...
जब वे आईने में अपने सफेद बालों के बीच से झांकते चेहरे को देखते हैं ,तो सोचते हैं की.... 65 वसन्त निकल चुका अब कितना कुछ बदल गया है।कई पीढियां मेरीआंखों के सामने ही शैशवावस्था से यूवा में बदल गईं हैं ..वे पुरानी यादों में खो से जाते हैं। और ये सब आँखों...
पिछले ब्लॉग में मैंने कुछ कारणों का ज़िक्र किया था ..क्यों बुजुर्ग लोग आज के वातावरण में समायोजित नहीं हो पाते।चलिए अब जानते हैं क्या असर होता है ??किस तरह वे प्रतिक्रिया देते हैं... मैं इस विषय पर चर्चा करने से पहले हमारे एक करीबी से किया बात चित का संक्षिप्त...
"हर उम्र का अपना एक आनंद और उमंग होता है , व्यथा और कथा होती है ,तो एक अलग वजूद और महत्व भी होता है।अगर इसे सही तरीके से महसूस करने की कोशिश की जाए तो ये अनंत होता है।क्योंकि जब आनंद की अनुभूति हो तो हर कुछ में सुंदरता और हर किसी से अपनापन की खुशबू आती...
"जब अहम से अहम टकराता है, तो अपने भी पराए लगने लगते हैं और मन बोझिल होने लगता है। तब... तनाव उतपन्न होना स्वभाविक है ।और तनाव यदि ज्यादा समय तक टिका रहे तो उदासीपन और हींन भावना जन्म लेती है और जब ये मन का हिस्सा बन जाता है तो हर बागों में फूलों के बीच...
हमारे आस पास घटने वाली घटनाएं ही हमारे समाज का आईना और संस्कृति की समृद्धि को दर्शाती हैं।लेकिन आईना हर सच को बयां करता है सुंदर छवि को सुंदर और कुरूप को कुरूप।यदि छवि कुरूप हो तो उसे सकारात्मक सोच और समझ से नया और खूबसूरत रूप भी दिया जा सकता है।संस्कृति...
कभी कभी पता चलता है कि मुस्कुराते चेहरे के पीछे गहरे जख्म का असह्य दर्द होता है।हमेशा मुस्कुराते रहने वाले अक्सर अंदर से टुटे और जख्मी होते हैं।क्योंकि उनका अपना ही खून ,यानी अपनी ही संतान खुद के फायदे के लिए हर रोज भावनात्मक रूप से उन्हें बरगलाते रहते...
बचपन में हमने एक कहानी पढ़ी थी।जिसका कुछ साराँश मैं यहाँ प्रस्तुुत कर .... रही हूं...... कुछ महिलाएं मटके लेकर पानी भरने जाती हैं।और आपस में अपने अपने बच्चों की विशेषता का वर्णन करती जाती हैं।एक स्त्री कहती है....मेरा बेटा घोड़े सा तेज दौड़ लगा सकता है।दूसरी...
एक गुजारिश है.....पिछला ब्लॉग अवश्य पढ़ें.... कम अंक प्राप्त करने वालों से अनुरोध है!!! कृपया हताश और निराश ना हों।आप भी किसी के भविष्य हैं ,अनमोल रत्न हैं,आपकी भी अपनी एक अलग छवि है।बस अब आपको अपनी अच्छी सोच ,जोश,जज्बा और जुनून के साथ आगे बढ़ना है। जरा...
"इस ब्लॉग को पढ़ने से पहले पिछला ब्लॉग अवश्य पढ़ें।" आप तो जानते हैं ना ...कि इस समय हर तरफ उत्साह और उमंग का वातावरण है।आज के किशोर अपने भविष्य के सुनहरे सपने बुन रहे हैं।80,90 प्रतिशत से ऊपर वाले देश के बड़े शहरों में जाकर पढ़ने और बड़ी से बड़ी नौकरी पाने...
प्रतिस्पर्धा ना हो तो जीवन की गाड़ी धीमी गति से ,मनमाने ढंग से और बिना उन्नति और तरक्की के चलती है। हमारा प्रतिद्वंद्वी हमें बेहतर से बेहतरीन करने को उकसाता है।या यूँ कहें की किसी करीबी द्वारा ताने मार कर , किसी से तुलना कर और किसी को आगे बढ़ते देख हमारा...
जब हम बड़े प्रोजेक्ट पर काम करते हैं तब हमें एक संगठित दल की जरूरत होती है।"दल यानी अनेकता में एकता" ।अर्थात दाल के हर सदस्य अपनी अपनी काबिलियत के अनुसार जाने जाते हैं। लेकिन यदि आप सबके बॉस हैं या बनना चाहते हैं तो आपको खुद में कुछ खूबियां विकसित करनी...
" पिता कड़वे पत्ते वाले नीम के वृक्ष के समान होते हैं जो जेठ की तपती दोपहरी में भी शीतल छाया देते हैं।और हम उस छाँव में ना सिर्फ सुकून पाते हैं बल्कि निश्चिंत होकर जीते भी हैं।" मैं हमेशा अपने पिता जी के डाँट और फटकार से दुःखी रहती।सोचती मेरे पिता जी मुझे...
मनोविज्ञान की माने तो एक बच्चे का मानसिक विकास एक से पांच साल तक हो जाता है।यानी जो संस्कार ,अचार -विचार और शिक्षा हम उसे देना चाहते हैं वो इसी उम्र में दे दें तो बहुत अच्छा। "संस्कार किसी के व्यक्तित्व के नींव की वो पहली ईंट है जो अगर सही तरह से ना रखी...
पिछले ब्लॉग में मैने संस्कार की बात की जिसकी नींव दो-ढाई साल की उम्र से ही पड़ने लगती है।आपको पता है ??एक बच्चा सबसे बड़ा निरीक्षक होता है।बच्चा आपकी हर छोटी छोटी हरकतों को बड़े ध्यान से देखता है,बारीकी से समझता है ,पढ़ता है और धीरे धीरे आपकी नकल करते करते...
चलिए इस ब्लॉग की शुरुआत में आपको कल्पना की दुनिया में ले चलती हूँ..."आँखें बंद कीजिए और....सोचिए आपके हर काम के लिए एक व्यक्ति खड़ा है।बस वो आपकी आज्ञा का इंतजार कर रहा है ,आप उसे आज्ञा दें और वो आपके सामने वो चीज लेकर प्रस्तुत हो जाता है जिसे आपने पाने...
एक दिन जब मैंने अखबार उठाया तो !!!!!!बड़ी हृदय विदारक दुर्घटना पर मेरी आंखें जम गईं, नम हो गईं और मन असह्य पीड़ा से कराह उठा।जिनके खेलने और तुतली तुतली बातों से मन को सुकून मिलता है और मासूम चेहरे में देवी के दर्शन हो जाते हैं ...उनके साथ ही इतना संगीन,घिनौना...
इस ब्लॉग को पढ़ने से पहले पिछला ब्लॉग अवश्य पढ़ें।🙏🙏 अभी मैं नन्ही बच्चियों के साथ होने वाले उस कुकृत्य पर चर्चा कर रही हूँ जो ना सिर्फ उनके शरीर पर जख्म करता है ,बल्कि उनके मन पर भी दहशत उत्पन्न करता है ,जो ताउम्र बनी रहती है।लेकिन इस तरह की कुकृत्यों...
पिछले ब्लॉग में मैने बहुत ही मार्मिक विषय और उनके कारणों पर आपसे बात की।ऐसी मार्मिक दुर्घटना को कई बार अपने लोग ही अंजाम देते हैं तो कई बार अनजाने।और हम उन्हें सिर्फ सजा देकर मन को शांत करने की कोशिश तो करते हैं,लेकिन उसे खत्म करने की गारण्टी नही दे सकते।क्योंकि...
दोस्ती सुदामा कृष्ण की भी प्रसिद्ध है और अर्जुन श्रीकृष्ण की भी।लेकिन अर्जुन - श्रीकृष्ण की दोस्ती अमीरी गरीबी और अन्य आम बातों से ऊपर है।ये दोस्ती ज्ञान,दर्शन, मार्गदर्शन देते हुए ,हाथ पकड़ , मित्रवत रह कर इस भव सागर से पार इस तरह ले जाने की है कि दोस्ती...
हर वक्त चाहत है ,कुछ ज्यादा पा लेने की,आंखों में उम्मीद है ,उम्मीद से ज्यादा मिल जाने की,बहुत कुछ है पास में पर कुछ और कि चाहत है।क्योंकि जो कुछ पास है वो कुछ खास नहीं और जो नही बस है, उसी की आस है ।इसे ही कबीर दास जी ने अपने दोहे के माध्यम से दर्शाया...
स्वाधीनता और अधीनता हमारे विचारों में होती है, हमारे व्यवहारों में होती है,और हमारे अनुभवों में होती है।जो हमारे वातावरण से मिले संस्कारों द्वारा हमें मिलती है ,और हम जिस रूप में उसे ग्रहण करते हैं ,उसी रूप में अपने वातावरण को लौटाते भी हैं। वैसे हमारा...
अभी हम समस्याओं के विषय पर बातें कर रहे हैं।जिससे हम घबरा जाते हैं और सोचते हैं कि कब और कैसे समस्याओं से निकल जाएं। लेकिन एक बात बोलूं 😊😊समस्या ना हो तो सुलझेंगे क्या।और सुलझाने के लिए कुछ ना हो तो जीवन नीरस ना हो जाएगी??और हमारे अंदर छिपी प्रतिभा का...